ब्यास मे एक गैर सत्संगी था
ब्यास मे एक गैर सत्संगी था (जो सत्संग नहीं सुना करता था) और उस बन्दे को नामदान लेने की बड़ी तड़प उठी। वो पहलीबार पेश हुआ, ओर उसको नामदान देने से मना कर दिया गया। ओर जब दूसरीबार पेश हुआ, तो उसको मना कर दिया गया। पेश होते-होते उसे 25 बार हो गए, लकिन हर बार उसको मना कर दिया जाता था ।
पर उसने भी फैसला कर लिया था कि नामदान तो लेकर ही रहना है। चाहे जो भी हो जाए। जब वो 26 वी बार नामदान के लिए लाइन में लगा तो इसबार उसको मना नहीं किया गया। ओर उसकी अरदास स्वीकार कर ली गयी फिर जब बाबा जी ने उसको नाम दिया तो उसने बाबा जी को अर्ज़ किया जी जब आपने नामदान देना ही था तो मुझे इतनी बार मना क्यों किया।
बाबा जी ने बात टालने की कोशिश की और कहा की भाई ये सवाल मत ही पूछो, तुम्हे नामदान चाहिए था वो तुम्हे मिल गया। अब ओर क्या चाहिए । अब तुम जाओ, लकिन उस बन्दे ने बार-बार अर्ज़ किया और बिनती की – नहीं जी पहले आप मुझे बताओ की इतनी लेट नामदान क्यों दिया जी। ..??
(साध सांगत शायद आपको याद होगा की गुरु अर्जुन देव महाराज जी को मुसलमानों ने गर्म तवे पर बैठाया था) बाबा जी ने उस बन्दे को कहा की भाई जब गर्म तवे पे बैठाया गया था तब रेत की 25 कडछिया तूने भी डाली थी। तो तुम्हारा उस बात का भुगतान करवाया है। वो बंदा ये बात सुनकर रोने लगा ओर बाबा जी के पैरों में गिर गया, ओर कहने लगा की बख्शले मेरे मालिक बख्शले।
एक सच्चे सतगुरु की दयामेहर कितनी है। वो हमारे गुण-अवगुण नहीं देखते। बस देखते है तो प्रेम ओर प्यार। ओर कैसे भी कर्म हो फिर भी हम पर दया मेहर करते है। ये है गुरु का बड़प्पन। उनके पास तो दया ही दया है चाहे जिव कैसा भी हो। ओर मालिक के घर कोई गैर नहीं होता।
देखो हम लोगों में बहुत लोग ऐसे होंगे जो नामदान के लिए कोशिश करते है, 2 , 5 , 9 या 10 बार भी इसमें भी उस मालिक की मोज़ है, ना जाने हमने पिछले जन्म में क्या कर्म किये है, जो हमें ये जन्म मिला। जिसका सदुउपयोग हमें गुरु द्वारा बताए गए नियम अनुसार ही करना चाहिए।
ओर मालिक से मिलाप के लिए हमें लगातार हररोज भजन-सिमरन जरूर करना चाहिए। क्योकि केवल भजन सिमरन ही है जो हमें अपने निज धाम हमारे घर पहुंचा सकता है ।
सो गुरु दे प्यारो गल सीदी यही है की यदि सतगुरु से नाम की बख्शीश हो गई है तो डट जाओ भजन-सिमरन में। सतगुरु द्वारा मैहर करदी गई है अब तुम्हे मेहर चाहिए या नहीं वो अब तुम जानो। और अभी जिसे नामदान नहीं मिला है वो घबराये नहीं। आप लोग भी डटे रहो, मालिक जरूर किरपा करेगा। मालिक के घर देर हो सकती है पर अंधेर बिलकुल नहीं है।
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