बाबा जी का ब्यास में प्रोग्राम का जरूरी सूचना।

इस जरूरी सूचना को ध्यान दें जी 

ब्यास मे हुजूर बाबाजी   के सत्संग प्रोग्राम में अगला प्रोग्राम दिसंबर माह में 4,11,& 18 समय सुबह 10:00 बजे


हुजूर बाबाजी के सत्संग टूर प्रोग्राम

दिसंबर माह में अहमदाबाद में 24,& 25 दिसंबर 10:00 बजे जयपुर में 27 & 28 दिसंबर 10:00 बजे

हैदराबाद में 31 दिसंबर एवं 1 जनवरी 2023  सुबह 9:30 बजे ब्यास में मध्य प्रदेश की जिज्ञासु संगत हेतु नामदान का रजिस्ट्रेशन दिसंबर माह में 2 दिसंबर दिन शुक्रवार समय 11 से दोपहर 1 बजे तक 

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इस खूबसूरत साखी को भी पढ़ें:-


एक संत सतगुरु ने अपने दो शिष्यों को दो डिब्बों में मूँग के दाने दिये और कहाः “ये मूँग हमारी अमानत हैं।

 ये सड़े गले नहीं बल्कि बढ़े-चढ़े यह ध्यान रखना। दो वर्ष बाद जब हम वापस आयेंगे तो इन्हें ले लेंगे।

संत तो तीर्थयात्रा के लिए चले गये इधर एक शिष्य ने मूँग के डिब्बे को पूजा के स्थान पर रखा और रोज उसकी पूजा करने लगा।

 दूसरे शिष्य ने मूँग के दानों को खेत में बो दिया इस तरह दो साल में उसके पास बहुत मूँग जमा हो गये।

दो साल बाद संत वापस आये और पहले शिष्य से अमानत वापस माँगी तो वह अपने घर से डिब्बा उठा लाया और संत को थमाते हुए बोलाः ‘गुरूजी’  आपकी अमानत को मैंने अपने प्राणों की तरह सँभाला है, इसे पालने में झुलाया,आरती उतारी,पूजा-अर्चना की…

‘संत बोलेः अच्छा जरा देखूँ तो सही कि अन्दर के माल का क्या हाल है .??

संत ने ढक्कन खोलकर देखा तो मूँग में घुन लगे पड़े थे, आधे मूँग की तो वे चटनी बना गये, बाकी बचे-खुचे भी बेकार हो गये।

संत ने शिष्य को मूँग दिखाते हुए कहाः ‘क्यों बेटा  इन्ही घुनों की पूजा अर्चना करते रहे इतने समय तक ,शिष्य बेचारा शर्म से सिर झुकाये चुपचाप खड़ा रहा, …..

इतने में संत ने दूसरे शिष्य को बुलवाकर उससे कहाः ‘अब तुम भी हमारी अमानत लाओ.. थोड़ी देर में दूसरा शिष्य मूँग लादकर आया और संत के सामने रखकर हाथ जोड़कर बोलाः ‘गुरूजी  यह रही आपकी अमानत’।

संत बहुत प्रसन्न हुए और उसे आशीर्वाद देते हुए बोलेः ‘बेटा  तुम्हारी परीक्षा के लिए मैंने यह सब किया था।

मैं तुम्हें वर्षों से जो सत्संग सुना रहा हूँ,उसको यदि तुम आचरण में नहीं लाओगे, अनुभव में नहीं उतारोगे तो उसका भी हाल इस डिब्बे में पड़े मूँग जैसा हो जायेगा।

सतगुरु जी जो नाम की दौलत रूपी मूंग हमे देते हैं…उसे हम नियमित सुमिरन, भजन से सींचते रहे तो ये फसल हमे मालामाल कर देगी,हमारे पूर्व जन्मों के कर्मों को खत्म करके ,अच्छे कर्मों के ,सुमिरन भजन रूपी ,भंडार भर देगी…

हमारे मालिक ने हमें नाम रूपी मूंग …भंडार भरने को ही दिये है….हम इसे बढ़ाएं या इसमें घुन लगाएं,इन्हें सङाए, या इन अमोलक सांसों को बेकार जाने दे…

वो तारण हार निश्चित ही हमसे एक दिन पूछेगा मेरे नाम रूपी मूंग का हिसाब दिखाओ…??

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 एक बार एक बीबी ने महाराज जी से पूछा कि, सच्चे पातशाह दया मेहर की कमी हो तो दया को पाने का आसान तरीका क्या है ?


महाराज जी का जवाब :-

           बीबी हम रोज सुबह सुबह 3 बजे से दया मेहर की टोकर लेके निकलते हैं और जो जो सत्संगी जीव भजन सुमिरन में बैठे होते हैं , उस पर दया के फूल बरसाते हैं। फिर महाराज जी ने कहा कि हमें बहुत अफ़सोस होता है कि कुछ भाग्यशाली जीव जो जागते हैं, वहीं फ़ायदा उठा पाते हैं और बाकि सारी टोकरी हमें वापिस लानी पड़ती है। तब हमें बहुत दु:ख होता है। इसलिए साध संगत हमें रोज भजन सुमिरन करना चाहिए ताकि सतगुरु को दु:खी ना होना पड़े और सतगुरु हमारे पे दया मेहर के फूल बरसा के जायें, वरना बाबाजी को दोष मत देना कि बाबाजी हम पर दया मेहर नहीं करते, राधास्वामी जी। 

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